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Antima । अंतिमा
R**A
अच्छी है
बहुत उच्च स्तरीय लेखन अच्छे लेखक की पहचान है. आपकी पहली पांच किताबे जिस स्तर पर है बहुत शानदार है. यह उपन्यास पढने की सिर्फ उन्ही की क्षमता है जो लेखन मे रूचिकर है. मनोरंजन के लिए पढने वाले पाठक मुझे नही लगता यह समझ पायेंगे. पूरी पृथ्वी का साहित्य अकेली किताब में भर दिया पाजी.
A**J
पाठको से ज़्यादा लिखने वालों के लिए
मानव कौल की पहली किताब जो मैंने पढ़ी वो थी ठीक तुम्हारे पीछे।पढ़ने के दौरान मुझे खत्म करने की जल्दी थी क्योंकि मेरी समझ के स्तर से वह कई गुना आगे थी। दूसरी किताब जो मैंने पहली किताब के साथ मंगाई थी उसे पढ़ने की हिम्मत नहीं हुई।किताबो के अभाव में मैंने बेमन से आखिरी किताब पढ़ने का निश्चय किया।'अंतिमा' को शुरू करते ही ऐसा लगा जैसे मैं लेखक से बात कर रहा हूँ।उसकी लिखने की प्रक्रिया में मैं शामिल हो गया हूँ या लेखक ने जानबूझकर मुझे अपने लिखने में शामिल कर लिया है।शुरुआत से आखिर तक जिस तरह लेखक खुद को जिस तरह खोया हुआ पाता है।उसी तरह अपने पाठकों को भी उलझाए रखता है।लेकिन उससे ज्यादा बाँधे रखता है।यह लेखन की दुनिया मे नवप्रयोग है जिसमे लेखक अपनी कहानी के पात्रों से छेड़छाड़ करता है और उनसे माफी भी मांगता है।लेकिन कहानी के पात्र अंत मे कहानी को झूठ के दायरे से निकाल कर सच के आईने में खड़ा कर देते हैं।मुझे इस उपन्यास का सबसे रोमांचक पल तब लगा जब मैंने वर्मा मैडम और दुष्यंत का नाम जाना।मानव कौल ने गागर में सागर की तरह पूरी ज़िंदगी इस किताब में भर दी है।यह पाठको से ज्यादा लिखने वालों के लिए है।अंत मे लेखक को बधाई जिसने उपन्यास लिखने की वो उम्र अपनी उम्र से पहले प्राप्त कर ली है।
S**O
अंतिमा, कहानियों की शुरुआत है
"अंतिमा"ये शब्द जब पहली बार सुना मैंने तब "अंतिम" शब्द मेरे ज़ेहन में ठहरा रहा। न जाने कितने ही चीजों से जोड़कर मैंने इस शब्द को साथ रखा। "तुम्हारे बारे में, बहुत दूर कितनी दूर होता है, प्रेम कबूतर, ठीक तुम्हारे पीछे, चलता फिरता प्रेत" इन सबको पढ़ने के बाद जब यह किताब आयी तबसे पढ़ने को लालायित था। कोरोना की वज़ह से इनदिनों सबकुछ अपने जगह पर नहीं है। धीरे धीरे सभी पढ़ने वाले दोस्तों के स्टेटस इंस्टापोस्ट पर "अंतिमा" के बारे में पढ़ने को मिलता रहा।जब "अंतिमा" मेरे पास पहुँची तब मैं थोड़ा सा व्यस्त था। एक रात अंतिमा को साथ लेकर बैठा। वैसे बाकी सारी किताबों को एक बार शुरू किया है तो पढ़ता चला गया हूँ। पर इस बार अंतिमा के पहले पन्ने से 20 वे पन्ने तक जाते जाते मैंने अचानक से "अंतिमा" को अलग कर दिया। मानव कौल को पढ़ते पढ़ते मैं कभी कभी भूल जाता हूँ कि ये मानव कौल की कहानी है या उनके किरदार की या मैं लिख रहा हूँ या जीने लगा हूँ उनके लिखे हुए हर शब्द को। "कामू की किताब में बोर्खेज़ की कविता का सुनाई देना" जिस पन्ने पर लिखा है उस पन्ने से आगे बढ़ना मेरे लिए काफ़ी मुश्किल था।लगभग एक महीने होने को आये टेबल पर अंतिमा को देखते देखते फिर एक रोज़ हिम्मत करके मैंने किताब उठाई और उस पन्ने से आगे बढ़ा। किताब में रोहित का रात में एक निश्चित टाइम से उठना ऐसा लगता रहा जैसे हम ऐसा होना कहाँ ध्यान देते हैं। कितनी ही बार वक़्त गुज़र जाता है ये जानते हुए की हम जो बीना वक़्त देखे हुए जो वक़्त गुज़ार रहे हैं हो वक़्त एक ख़ास टाइमिंग लिए हुए आदत में शामिल होता चला गया है।किताब में रोहित और उसके पिता का संवाद मानों हमारे कितने ही संवादों का सार कह रहा हो। "मुझे पता है कि मैं अगर अपनी आँखें खोलूंगा तो बग़ल में कोई भी नहीं होगा। पर बंद आँखों में मैं उनकी मौजूदगी महसूस कर सकता हूँ।" सच ही तो है हम सभी किसी की मौजूदगी को महसूस करते है आँखें बंद करते ही। कभी कभी किसी के साथ जिया हुआ, किसी की याद, आँख बंद करते ही आज़ाद होकर गालों पर पसरने लगते हैं।"तो राजा रानी की कहानियाँ लिखो। अगर सूरजमुखी की कहानी लिखोगे तो उसका मुरझाना भी दर्ज़ करना पड़ेगा।" दो क़िरदार के बीच का यह संवाद न जाने क्या क्या कह गया है मुझे। सच में सूरजमुखी का मुरझाना तो लिखना पड़ेगा सूरजमुखी को लिखना चुनूँगा तो। कहानी को लिखने की प्रक्रिया की ये कहानी का ये उपन्यास "अंतिमा"...ने मुझे "यु लर्न" दे दिया है। आख़िरी पन्ने पर एक नयी कहानी की शुरुआत काफ़ी ज़रूरी थी।
A**R
बस ठीक है।
उम्मीद पर खरी नहीं उतरी ये किताब। संभवतः मानव कॉल ने बेंच मार्क ज़्यादा ऊपर तय कर दिया है। इस किताब में बहुत बार बहुत सी बातों को दोहराया गया है और उनका दोहराना केवल किताब के पन्ने बढ़ाने जैसा ही लगा। बहुत सी बातों का आपस में तारतम्य नहीं जुड़ा और ऐसा लग कि बस कुछ लिखना था तो लिख दिया गया उसमें हृदय नहीं डाला गया।
P**R
बेहद उमदा
मैं मानव जी की फ़ैन हूँ इसलिए उनका कुछ भी लिखा हुआ मुझे अच्छा ही लगता है, पर यह किताब अलग थी। यह उनका पहला उपन्यास था। इसकी ख़ास बात यह थी की उन्होंने किताब के साथ साथ लिखने की प्रतिक्रिया में शुरू से अंत तक पाठक को जोड़े रखा। जब किताब ख़त्म हुई तो लगा अब बस अगला भाग 'सुरभि' बनकर आने ही वाला है।
A**S
We want Antima Part 2 !!
Really interesting storyline, I finished this in book in like 2 days, you may call it as binge reading. I actually experienced all of this, no really, I saw antima and rohit. I walked with them and smoked with them. I was a part of them when i was reading.Can't say more, Manav Kaul is Love.
R**R
मानव सर के उपन्यास के नाम।
मुझे बहुत समय से इंतजार था, मानव सर के उपन्यास का। और आज जब उसको मैं पढ़ चुका हूँ। तो लगता है। मेरा इन्तजार सफल रहा। बहुत ही अच्छा उपन्यास है।
Z**I
अंतिमा .....
कुछ किताबो को आका नही जा सकता ....अंतिमा भी उन्हीं चुनिंदा किताबो मे से एक है।इसे पढ़कर ऐसा लगा जैसा ...एक नदी की धार आपके पास बह रही हो ,...और आप उसके किनारे...किनारे खींचे जा रहे हो।....ये आपको अंत तक बांधे रखेगी....आपके अंदर कौतूहल भरपूर मात्रा मे बना रहेगा ...पढ़िये फेर इंतजार किस बात का।....।
ترست بايلوت
منذ شهر
منذ شهرين